थांरा परचा रो नहीं पार....
दोहा: झूठी चिन्ता जीवड़ा,
विरथा सोच विचार ।
राम भरोसो राख रे,
जिण रे हाथ हजार ॥
स्थाई: हो थारा परचा रो नहीं पार
जगत जश छायो रे जगत जस छायो ।
म्हारा रामा राजकुमार पार नहीं पायो ॥
थांरी जग में जय जयकार
धरम ने धार्यो धरम ने धार्यो ।
ले धरती पर अवतार संत जन तार्यो ॥
ओ आया मक्काजी सूं पीर परखणे ताँहि ।
रया बरतन मक्का माँय भोजन नहीं पाई।
रामा पल में कटोरा लाय
भोजन जिमवायो, भोजन जिमवायो ।
प्रभु सब पीरां रो है पीर रामो कहलायो ॥
ओ रामा खेलत चौपड़ महल
पलट रया सारी रे पलट रया सारी ।
प्रभु लम्बी भुजा पसार, डूबत नैया तारी ।
बाबो मझधारां सूं नाव
किनारे लायो रे किनारे लायो ।
म्हारा रामा रे राजकुमार पार नहीं पायो ॥
ओ ले कपड़ा रो घोड़ो हरजी
जोधाणे आयो, जोधाणे गढ आयो ।
भयो जोम जोधाणे रो भूप घणो भरमायो ।
रामा कपड़ा घोड़ा ने लौह रा
चणा चबवायो, चणा चबवायो ।
म्हारा रामा राजकुमार पार नहीं पायो ॥
ओ रामा ऊँच नीच रो भेदभाव
मिटवायो रे भेद ने मिटायो ।
बाबो सब धरमां रो सार एक बतलायो ।
सारा हिन्दु मुस्लिम रामापीर ने
ध्यायो रे बापजी ने ध्यायो ।
म्हारा राम रूणीचे रा नाथ पार नहीं पायो ॥
ओ जो रामसरोवर नहाय
कष्ट जावे रे कष्ट कट जावे ।
बाबा आकर थारे द्वार निराश नहीं जावे ।
बाबो रहे भगतां रे बीच
सिंवरता आयो, सिंवरता आयो ।
म्हारा रामा राजकुमार पार नहीं पायो॥
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