नेड़ा-नेड़ा रहिजो, दूर मत जाइजो
दोहा:- कृष्णा यों मत जाणजो, तो बिछड्यो मोहे चैन।
जैसे जल बिना माछली, तड़फ रही दिन रैन।।
स्थाई:- नेड़ा-नेड़ा रहिजो थे दूर मत जाइजो।
लागोड़ी प्रीत निभाईजो, म्हारा हरि निर्मोया।
मीरां रे भेला भेला रहिजो, म्हारा कृष्ण कन्हैया।।
सब देवों में आप बड़ा हो।
ज्यूं तारा बिच चन्दा, म्हारा नागर नन्दा।।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे।
ऊपर फूल सुगन्धा, म्हारा नागर नन्दा।।
आप गया हरी द्वारका जी।
म्हाने भलाय गया घर रा धन्धा, नागर नन्दा।।
काली देह पर नाग नाथियो।
फण-फण नाच करन्ता, म्हारा नागर नन्दा।।
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