हेली म्हारी बाहर भटके काँहि
स्थाई:- हेली म्हारी बाहर भटके काँहि,
थारे सब सुख है घट माँहि।।
हेली म्हारी घट में ज्ञान विचारो,
थारे कुण है बोलण वालो।
हेली म्हारी उण री करो ओलखाई,
थारो जनम मरण मिट जाई।।
हेली म्हारी ईड़ा पिंगला नाड़ी,
तां में सुकमण सेज संवारी।
हेली ज्यूं मिले पुरुष से प्यारी,
जां में कौण पुरुष कौण नारी।।
हेली म्हारी गगन में घुरे निशाणा,
ज्यारां मरम कोई कोई जाणा।
हेली कोई जाणे संत सुजाना,
जिन ब्रह्म तत्व पहचाना।।
हेली म्हारी बाजे बीन सितारा,
जठे शंख मुरली झणकारा।
हेली म्हारी सोहम चमकत तारा,
जठे बिना ज्योत उजियाला।।
हेली म्हारी बाजे अनहद तूरा,
जहां पहुंचे संत कोई शूरा।
हेली म्हारी मिले " कबीर सा " गुरु पूरा,
वहां नानक चरण की धूरा।।
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