रमते जोगी ने म्हारा आदेश...
दोहाः सतगुरु दीवो नाम रो,
क्या जाणे संसार ।
घिरत सींचावो प्रेम रो,
उतरो भव जळ पार ॥
स्थाई: रमते जोगी ने म्हारा आदेश देणा है।
जोगी ने म्हारा आदेश देणा है ॥
नदी रे किनारे अवधु आम्बली उबी है।
जिण रो पेड़ मछलियाँ खायो है रे लोक ॥
भैंस बिलोवे अवधु खूंटो दूजे रे ।
ज्यांरो माखण विरला खायो है लोक ॥
नदी रे किनारे अवधु हिरणी ब्याई रे ।
वा तो पाँच मिरगला लाई है लोक ॥
सुसियो शिकारी अवधु वनखण्ड चाल्यो रे ।
ए ममता मिरगले ने मार्यो है रे लोक ॥
शरणे मच्छेन्दर जती गोरख बोले रे ।
जिन खोजा तिन पाया है लोक ॥
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