रूस गयो नन्दलाल हार गया.....
दोहा:- वृन्दावन सो वन नहीं, नन्द गाँव सो गाँव।
राधे सी राणी नहीं, कृष्ण नाम सो नाम।।
स्थाई:- रूस गयो नन्दलाल हार गया, मना मनाकर ग्वाल।
जरा सी, थोड़ी सी, छिनी सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
जरा सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
कर सोलह सिणगार मारी राधा, जल्दी हो तैयार।
मोह माया की, लाली लगा ले, प्रेम को सुरमो सार।
जरा सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
बादल बरसण लगा ए गूंदी, बाळपणा ने जाय।
समदर ताल कन्हैया भर ग्या, भर ग्या कई तळाव।।
जरा सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
हाथा जोड़ी करले राधा, दिल को फेर मिलाय।
थोड़ी सी हंसी आ जावे, मिल जावे तालमताल।
जरा सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
ई मुरली की धुन सूं राधा, तीन लोक गरणाय।
कहे भगवान् सहाय सुण प्यारे, कर दे ओ मालोमाल।
जरा सी नाच ले राधा, थारो रूस गयो नन्दलाल।।
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