मना थारी उमर जावे रे.....
दोहा:- माया काया पांवणी, और कन्या घर होय।
राख्योड़ी रेवे नहीं, ए उठ चले पथ खोल।।
स्थाई:- मना थारी उमर जावे रे, मना थारी उमर जावे रे।
आछा दिन थारा बीत गया, चोखा दिन थारा बीत गया,
दिन अबका आवे रे, मना थारी उमर जावे रे।।
मात-पिता सुण कामणी, माया भरमावे रे।
करी कमाई थारी खोस लेवेला, पीछे पछतावे रे।।
मोह माया री नींद में, काँहि सुख भर सोवे रे।
रतन पदारथ मानखो, विरथा काँहि खोवे रे।।
माया विष री वेलड़ी, तांता पसरावे रे।
बाजीगर रा बांदरा ज्यूं, नाच नचावे।।
ओ संसार मृग जल भरियो, हाथ नी आवे रे।
भटकत फिरे उजाड़ में, थारो जीव तरसावे रे।।
सन्त बड़ा परमारथी, सुण ज्ञान बतावे रे।
सीधे रस्ते चालणो, सिमरथ समझावे रे।।
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