दोहा :- रामा सामा आवजो, कलजुग बहोत करूर।
अरज करू अजमाल रा, थे
साम्भळजो जरूर।।
स्थाई :- साम्भलो नी सायल रामदे जी म्हारी ओ।
आपरी सेवा तो म्हाने लागे प्यारी ओ।
मालको री सेवा लागे म्हाने प्यारी ओ।।
अजमल भगती कीनी हद भारी ओ।
तन मन तपस्या कीनी करारी
ओ।।
गढ़ रे गोकुल में गायो चराई
ओ।
मुरली री टेर सुणाई हद भारी
ओ।।
बाली रे नाथ जी रा दर्शन
भारी ओ।
मारियो भैरव ने कीनी किलकारी
ओ।।
चौपड़ रमता भुजा पसारी ओ।
डूबतोड़ी जहाज बाणिया री
तारी ओ।।
हरी रा शरणा में भाटी हरजी
बोले ओ।
धोलकी धजा रो धणी है अवतारी
ओ।।
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