संत श्री खेतेश्वर जी की आरती.....
स्थाई:- ॐ नमस्कार गुरूसा बारम्बारा , ॐ नमस्कार शिव बारम्बारा,
ॐ नमस्कार हर बारम्बारा।।
अनन्त कोटि दया के स्वामी, जड़ चेतन में वास तुम्हारा।
न तू किसी में न तेरे में, ऐसा निर्गुण रूप तुम्हारा।।
आप ही सब में सब तेरे में, ऐसा सर्गुण रूप तुम्हारा।
आप ही बाहर आप ही भीतर, सब घट में प्रकाश तुम्हारा।।
आप ही जल में आप ही थल में, जहाँ देखूँ तहाँ वास तुम्हारा।
आप ही कर्ता आप ही भर्ता, सब जग में विस्तार तुम्हारा।।
आप ही सूरज आप ही चन्दा, आप ही हो मण्डल के तारा।
आप ही ब्रह्मा आप ही विष्णु , आप ही हो ईश्वर ओंकारा।।
सच्चे मन से जो ध्यान लगावे, जब हो दर्शन नाथ तुम्हारा।।
गुरु परताप भणे ब्रह्मचारी जी, सच्चिदानन्द गुरु रूप तुम्हारा।।
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