मनवा भली बिगाड़ी रे ( धुन:-दर्शन देता जाइजो जी )
स्थाई:- मनवा भली बिगाड़ी रे,
मनवा भली बिगाड़ी रे।
फँस दुनियाँ के जाळ भूल में,
खो दीवी सारी रे।।
मात गरभ में कौल कियो थो,
भजुं मुरारी रे।
लीनो जनम बालपण बीतो,
भयो खिलाड़ी रे।।
जोध जयो जद मस्ती छाई,
नारी प्यारी रे।
कीनो भोग रोग से दुखिया,
बाजी हारी रे ।।
वृद्ध भयो जब लोभ सतायो,
तृष्णा न्यारी रे।
अन्तकाल तक नाँही छोड़ी,
थारी म्हारी रे ।।
राधाचन्द गुमान करो मत,
करो विचारी रे।
फिरे पीछे पछताने से क्या,
उजड़ी वाड़ी रे ।।
मनवा भली बिगाड़ी रे,
मनवा भली बिगाड़ी रे।
फँस दुनियाँ के जाळ भूल में,
खो दीवी सारी रे।।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ