राम नाम के हीरे मोती....
दोहा: राम नाम भजियो नहीं,
कियो न हरि से हेत।
वो नर ऐसे जाएगा,
ज्यूं मूली का खेत ॥
स्थाई: राम नाम के हीरे मोती,
मैं बिखराऊं गली-गली ।
लूटने वाले लूटेंगे मैं,
शोर मचाऊं गली-गली ॥
भोगों के मतवालों सुन लो,
एक दिन ऐसा आयेगा।
धन दौलत और माल खजाना,
यहीं पड़ा रह जाएगा।
कंचन काया मिट्टी होगी,
चर्चा होगी गली-गली ॥
इस यौवन पर फैशन पर,
इतना तू फूला फिरता है।
नशे में अपने जीवों को,
पैरों से कुचल कर चलता है।
दो दिन की ये चमक चाँदनी,
फिर मुरझाए कली-कली ॥
जिनको तू अपना कहता है,
एक दिन तुझे भुलाएँगे।
अन्त समय कोई साथ ना देगा,
तुझसे आँख चुराएँगे।
जगत मुसाफिर खाना है ये,
एक दिन होगी चला-चली ॥
फिर ऐसा अनमोल समय तू,
कभी न बंदे पाएगा।
समय निकल जाएगा पगले,
हाथ मसल रह जाएगा।
सिर धुनकर पछताएगा तू,
रोवे आँसू डळी-डळी ॥
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