भजन भीलणी रंगीली......
दोहा : नार नवेली बणी अलबेली, बणी हे वा रंगीली।
पर्वता
छलवा ने आई, बण भीलणी रंगीली।।
स्थाई : भीलणी रंगीली, अरररर भीलणी रंगीली।
शिवजी रो,
बाबा रो,लहरी रो मनड़ो मोयो रे,भीलणी
रंगीली।।
घेर घुमालो पहन गागरो, ओढण अंबुआ साड़ी।
शिवजी आगे नृत्य कियो जद, शिवजी पालक उगाड़ी।।
किस्या भील री बेटी कहिजे, किस्या भील ने ब्याही।
कावण थारो नाम कहीजे, किण पुरुष घर नारी।
केवे शिवजी सुण ले भीलणी, कर ले प्रीत हमारी।।
हेमा भील री बेटी कहिजूं, शिविया भील ने ब्याई।
कहे भीलणी सुण ले बाबा, मत कर प्रीत हमारी।।
भील जात भिखियारी रे बाबा,मत कर प्रीत हमारी।।
म्हारे घर भंवर भील है, उड़ता पंछी मारे।
थने मार ने म्हने ले जावे, पथ दोनों री जावे।।
नव दानव जागृति में मारया, भील किण रे लेखे।
जटा मुकुट में थाने छिपा
लूं, भील कठां सूं देखे।।
पहली हे थारे गवर पारवता, दूजी सिर पर गंगा।
तीजी शिवजी म्हने ले जावो, नित का होसी दंगा।।
गवर पर्वता ने पीहर पोंचा दूं , गंगा भरेली पाणी।
तीन लोक रे तखत विराजो, थे घर रा धणियाणी।।
नहीं चढ़ूं मै सिंह नांदिये, नहीं चढ़ूं रथ गाडी।
पैदल म्हां सूं चल्यो न
जावे, बैठ पीठ तुम्हारी।।
नहीं चढ़ाऊ थने सिंह नांदिये ,नहीं चढाऊं रथ गाडी।
केवे शिवजी सुण रे भीलणी, बैठो पीठ हमारी।।
मोची बण ने म्हणे छलिया, मै बण गई भीलराणी।
शिव शरणे पारवतां बोले, नाथां री गम जाणी।।
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