उड़ता पंखेरू विवाह मांडियो....
स्थाई:- झरमर जाळो रे माँय, उड़ता पंखेरू विवाह मोंडियो।
भाई म्हारा पीसा ने परणाव, कंवरियो भाभोसा रे लाडलो।।
लाली तो रोंधी रे लसपस लापसी, ऊपर घाले है घी।
रज ने जीमो म्हारा जोनियों, चिड़िया परुसे है दाल।।
उड़ता पंखेरू विवाह मोंडियो।।
हिमाले जाये ने तोरण वोंदियो, लोकी उतारे है लूण।
दिल्ली रे जाये ने तोरण वोंदियो, देखो पीसा रा सिणगार।।
उड़ता पंखेरू विवाह मोंडियो।।
उन्दरो जाय ने मौसा बोलिया, डूंगर खोंसी है तलवार।
जाये ने मौका रो माथो वाडियो, हुआ है खूनो रा खेंगार।।
उड़ता पंखेरू विवाह मोंडियो।।
महलो सूं मीनी बाई नीचा ऊतरे, माथे लाडूड़ों री छाव।
सोमी रे धकियों रे गरजी कूतरो, भोंगियो मीनी रो मरोड़।।
उड़ता पंखेरू विवाह मोंडियो।।
सरगां सूं सवली बाई उतरया, लारे कुरजां रो डार।
मुथा रे त्रिलोकचंद री वीणती, सुणजो चित लगाय।।
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