Raam Mere Ghar Aana Bhajan Lyrics राम मेरे घर आना

राम मेरे घर आना 


दोहा:- लक्ष्मण और सीता संग, वन को जाते राम। 
दर्शन प्यासी भिलणी, केवे सुबह और शाम।।

स्थाई:- मतंग ऋषि की कुटिया पर आ भिलणी जोवे वाट। 
राम मेरे घर आना, राम मेरे घर आना।।
चित्रकूट के घाट-घाट पर, तुलसी जोवे वाट। 
राम मेरे घर आना, राम मेरे घर आना।।

आसन नहीं है रामा, कहाँ में बिठाऊँ। 
टूटी पड़ी है खाट-खाट पर, बिछी पड़ी हे टाट,
राम मेरे घर आना।।

भोजन नहीं है रामा, क्या मै जिमाऊँ। 
ठण्डी पड़ी है घाट-घाट में, डालो ठण्डी छाछ,
राम मेरे घर आना।।


मेवा नहीं है रामा, क्या मैं चढ़ाऊँ। 
सूखे पड़े है पेड़-पेड़ पर, लगे हुए है बैर,
राम मेरे घर आना।।

झूला नहीं है रामा, काहे में झुलाऊँ। 
हरे भरे है पेड़-पेड़ पर, झूले राधेश्याम,
राम मेरे घर आना।।

तुलसीदास, आस रघुवर की। 
भिलणी लाई बोर लाई, कर-कर  खांडी कोर,
राम मेरे घर आना।।
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