Beta Thari Maa Samjhawe Re Bhajan Lyrics बेटा थारी माँ समझावे रे

बेटा थारी माँ समझावे रे..... 

दोहा:- मात पिता परमात्मा, पति सेवा गुरु ज्ञान। 
इनसे हिलमिल चालिए, वो नर चतुर सुजान।।
मात-पिता जनम दियो और, सतगुरु दीनो ज्ञान। 
इनको कभी नहीं भूलना, जब लग तन में जान।।

स्थाई:- बेटा थारी माँ समझावे रे, बेटा थारी माँ समझावे रे। 
माँ समझावे रे, मिनखपणो एलो जावे रे।

नौ दश महिना झूल्यो गरभ में, मात घणी दुख पाई रे। 
बायर आय खुशियाँ छाई, सइंया मंगल गावे रे।

बालपणा में थारो लाड लडायो बेटा, थने दूध पिलायो रे। 
आई जवानी भूल गयो, तिरिया बिलमावे रे।

दे शिक्षा सत्संग की थने, सज्जन बणायो रे। 
संगत कीनी मूरख की, ओ पद खोयो रे।

मदिरा माँस का भोजन करे जांके, घर में हानि रे। 
सुद बुद बिसरे लक्ष्मी जावे, वो नर नरकां जावे रे।

सेवा करी श्रवण ने बेटा, ज्यां ने संत पुकारे रे। 
मात-पिता ने बिठा कावड़ में, तीरथ करावे रे।

धर्म छोड़ जो सुख नहीं पावे, सन्त पुकारे रे। 
हिरणाकुश रावण ने देखो, काळ खा जावे रे।

मोह माया रे भरम जाल में, ऊमर जावे रे। 
पाणी पेली पाल बाँध ले, ज्ञान बतावे रे।

सन्त जनां री संगत कर ले, है सुखकारी रे। 
सतसंग सूं कट जावे भव रा, बंधन भारी रे

सुमता कुमता उर में थारे, सुमता थारो रे। 
सुधर जावेला पल में थारो, मिनख जमारो रे।

अमरदास पतिदेव हमारा, दीन दयालु रे। 
फुन्दी देवी यूं कह समझावे, गुरु शरणे आजा रे
                               ✽✽✽✽✽      

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