Hey Parshuram Ji Karu Vinati हे परशुराम जी करूँ वीणती

हे परशुराम जी करूँ वीणती (धुन:जहाँ डाल डाल पर)



 

दोहा: शीश चंद्र गळे शेषनाग,

और बाघम्बर धारी।

कर में डमरू त्रिशूल सोहे,

नन्दी की असवारी॥

 

स्थाई: हे परशुराम जी करूँ वीणती,

सुण लीजो त्रिपुरारी।

आया मैं शरण तिहारी,

आया मैं शरण तिहारी॥

साँचो कळजुग में धाम तिहारो,

शिव भोळा भण्डारी।

आया मैं शरण तिहारी,

आया मैं शरण तिहारी॥

 

फरसो धारण कर शिवशंकर थे,

परशुराम कहलाया।

है तीन लोक में माया थांरी,

कण-कण आप समाया।

पूजे थांने सब ऋषि मुनि,

पूजे योगी संसारी॥

 

आडावल में भोळा शंकर,

सुन्दर मिन्दर थारो।

सावण महीने मेळो लागे,

दर्शण आवे जग सारो।

हर सोमवार ने मिन्दर में,

माथो टेके नर नारी॥

 

थांरी किरपा सूं शिव शंकर,

निर्धनियाँ धन पावे।

साँचे मन सूं जो सिंवरे है,

वो मनचाया फळ पावे।

दातार बड़ा है परशुराम जी,

जाणे दुनियाँ सारी॥

 

भगतां रो बेड़ो पार करो ओ,

दास अशोक सुणावे।

शरणां में आज प्रकाश पड्यो,

भजन भाव सूं गावे।

भवसागर भारी है शंकर,

अब लाज राखजो म्हारी॥

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