Santo Ganpat Nirbhay Bhajan संतो ! गणपत निर्भय रहता गले फुलमाल,गवरजा रा प्यारा

गले फुलमाल,गवरजा रा प्यारा... 


स्थाई : गले फुलमाल गवरजा रा प्यारा ,
सामी सुंडाला थाने कहता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

पेली निवण करुँ गणपत ने, 
सब कोई हाजिर रहता। 
धरियो ध्यान तेतीसों रे आगे , 
सब कोई पुरण देता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

मूल कमल में आप विराजो , 
अखण्ड उजाला रहता। 
भरिया भण्डार कमी नहीं आवे, 
तुम हो रिद्धि - सिद्धि दाता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

विधा री देवी शारदा ने सिंवरू, 
हरख उमावा रहता। 
रिद्धि - सिद्धि राणी थारे संग विराजे , 
समर्थ सिहांसन रहता रे। 
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।

आप खोजो हो बुद्धि पारकासो , 
समर्थ वेद लिख लेता। 
शील संतोष सतगुरुजी री महिमा, 
सुन में तो सुमिरण होता रे,
संतो ! गणपत निर्भय रहता।।
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