सजन म्हारा घर आवो....
स्थाई: सजन म्हारा घर आवो मेहमान।
दीजो मोहे आदर दान,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
मैं जाण्यो सुख होवसी रे,
प्रीत करी मैं जाण ।
अब मुझको मालूम पड़ी रे,
निकली दुख री खाण,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
पंख बिना पंखेरू पड़िया धरण पर,
किस विधि उड़े असमान ।
सजन मेहर लहर कर देवो,
आण मिलूं आसान,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
मछली जीव पपीहा प्यासा,
जळ बिन तज दे प्राण ।
पतिवरता राजी उर अन्दर,
जद मिलसी पीव निदान,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
आप समुद्र मैं तरंग तुम्हारी,
मैं गोपी तू कान्ह ।
आप ब्रह्म मैं इच्छा तुम्हारी,
अब लीजो मोहि जाण,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
विरह सुणो थे बेगा आइजो,
कर मुझ पर अहसान ।
सिमरथ कण्ठ लगाय के रे,
कीजो आप समान,
पियाजी घर आवो मेहमान ॥
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