म्हारो हिरदो सूनो राम बिना....
स्थाई: चुग चुग फुलड़ा लावे सखि म्हारे,
सेज बिछावे रे ।
कृष्ण बिना म्हारे काँटा लागे,
नींद नहीं आवे रे ।
म्हारो हिरदो सूनो राम बिना म्हने,
चैन नहीं आवे रे ।
चैन नहीं आवे रे राम बिना,
चैन नहीं आवे रे ।
म्हारो हिरदो सूनो राम बिना,
म्हने चैन नहीं आवे रे ॥
रुच रुच भोजन परोसिया सखि म्हने,
कोंहि जिमावे रे ।
कृष्ण बिना म्हने लागे अलूणा,
धान नहीं भावे रे ॥
क्या कहूँ सखि कयो नी जावे,
विरह सतावे रे ।
ऐसा मिले कोई संत उपदेशी,
राम मिळावे रे ॥
हीरापुरी गुरु सामरथ मिळिया,
वे समझावे रे ।
निर्भयपुरी सतगुरु जी रे शरणे,
मोक्ष पावे रे ॥
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