भोळा शंकर ने ध्यावे....
स्थाई: भोळा शंकर ने ध्यावे,
भगत थांरा दर्शण ने आवे ।
हर हर बम-बम, जय शिव शंकर,
गाता गाता आवे ॥
आडावल री धरती प्यारी,
शोभा जग सूं न्यारी है।
उण्डी गुफा रे माँय विराजे,
परशुराम अवतारी है।
ऊँचे भाखर बण्यो देवरो,
भगतां रे मन भावे ॥
मोर पपइया मीठा बोले,
हरियाली मन भावे है।
भगतां रा टोळा शंकर रा ए,
मीठा हरजस गावे है।
झांझ मंजीरा नौपत नित रा,
परशुराम रे बाजे ॥
सावण महिने मेळो लागे,
आवे दुनियाँ सारी है।
सोमवार ने निज मिन्दर में,
भीड़ पड़े भगतां री है ।
भांग धतूरो शिव शंकर रे,
मिन्दर भोग चढ़ावे ॥
साँचे मन सूं जो भी कोई,
परशुराम ने ध्यावे है।
पाप कटे है इण जीवन रा,
मनचाया फळ पावे है।
भोळो शंकर निज भगतां ने,
भव सूं पार उतारे ॥
परशुराम री महिमा कोई,
दास अशोक सुणावे है।
सावण महिने आडावल में,
शिव रा दर्शण पावे है ॥
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