भजन कर ले, सुमरण कर ले....
दोहा: राम नाम भज्यो नहीं,
कियो न हरि से हेत ।
वो नर ऐसे जाएगा,
ज्यूं मूळी का खेत ॥
स्थाई: भजन कर ले, सुमरण कर ले ।
चामड़ा री पूतळी, रामैयो रट ले ॥
चामड़ा री पूतली ने, चावे बीड़ा पान ।
आछा-आछा कपड़ा पेहरे, करे है अभिमान ॥
चामड़ा रा वाछोड़िया ने, चामड़ा री गाय ।
चामड़ा री दोवण वाळी, चामड़ा ने दोय ॥
चामड़ा रा हस्ती घोड़ा, चामड़ा रा ऊंट ।
चामड़ा रा बाजा बाजे, बाजे चारूं खूंट ॥
चामड़ा रा राजा प्रजा, चामड़ा वजीर ।
चामड़ा री सारी दुनियाँ, कह गया कबीर ॥
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