म्हारा सतगुरु भया रंगरेज, चूनर
स्थाई : म्हारा सतगुरु भया रंगरेज,
चूनर म्हारी रंग डारी।।
भाव की पूंजी नेका जल में,
ज्ञान
रंग दिया घोल।
शीतल चुनरी ओढ़ाय के रे,
खूब
करि जकजोल ,
चूनर म्हारी रंग डारी।।
सत्गुरूसा ने चूनर रंग दी,
सतगुरु
चतुर सुजान।
सब कुछ गुरु पर वार दूं रे,
तन
मन धन और प्राण,
चूनर म्हारी रंग डारी।।
स्याह रंग छुड़ाय के दाता,
दिया
मजीठी रंग।
धोए से उतरे नहीं रे,
दिन
- दिन होत सुरंग,
चूनर म्हारी रंग डारी।।
धर्मिदास कहे चूनर रंग दी,
मुझ
पर कृपा दयाल।
शीतल चूनरी ओढ़ाय के दाता,
कर
दिया प्रेम निहाल,
चूनर म्हारी रंग डारी।।
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