Thari Chunadli Ro Chatko Bhajan Lyrics थांरी चूनड़ली रो चटको दिन चार

थांरी चूनड़ली रो चटको दिन चार  

स्थाई:- ओ थांरी चूनड़ली रो चटको दिन चार ,
            पुराणी भई चूनड़ली।।

आँख्या सूं सूझे नहीं रे, सुणे नहीं दोनूं कान। 
दाँत बतीसी बाहर आ गई, बिगड़ी चूनड़ली री शान।।

सळ पड़िया शरीर में रे, अब तो भज भगवान्। 
रंग गुलाबी उड़ गयो रे, बिगड़ी चूनड़ली री शान।।

सुध बुध भूल्यो शरीर री रे, थोड़ो भावे धान। 
डगमग-डगमग नाड़ चाले, क्यूं तू भूल्यो भगवान।।

खाली पीले और खर्च ले, कर चूनड़ी रो मान। 
प्रतापगिरी यूं कहे बन्दा, लागे गुरूजी रो ज्ञान।।
                           ⚝⚝⚝⚝⚝   

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