सिंवरूँ मैं दिन रात, अम्बे आज.....
स्थाई:- सिंवरूँ मैं दिन रात, अम्बे आज थांने आणो है।
म्हाने दरस दिखाणो है।।
नाडोल नगरी में, देवरो साँचो, भवानी आपरो।
नाम है साँचो, इण लोक में मैया, आशापुरा आपरो।
गोढ़वाड़ रे माँय, मिन्दर आपरो सुहाणो है।।
सांभर सूं आई, शाकम्भरी माता, बसी नाड़ोल में।
राव लाखा ने, परचो दियो माता, तू मुंडे बोल ने।
इण कलजुग रे माँय, मोटो आपरो ठिकाणो है।।
दूर देशां रा, नित जातरी जावे, करे थांरी आरती।
नाम सूं थांरे, दुख दूर हो जावे, तू मोटी मावड़ी।
भागतां रो हर काम, मैया पार लगाणो है।।
दीन दुखियां रा दुःख दूर कर दीजो, अरज आ दास री।
किरपा कर दीजो, सेवक ने दीजो, चरणां री चाकरी।
आज चरणां में, अशोक द्वार थांरे आयो है।।
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