बीड़ो उठायो हनुमान हठीलो.....
दोहा:- हनुमत तेरी धाक से, धूजे लंका कोट।
तुम पायक श्री राम के, थारे पेरण लाल लंगोट।।
स्थाई:- बीड़ो उठायो हनुमान हठीलो,
बीड़ो उठायो राजाराम रो।
आज भला अंजनी रो जायो,
बीड़ो उठायो राजाराम रो।।
पाँच पानां रो बीड़ो रे बणायो,
भरी सभा में फेर्यो जी।
उण बिड़ला ने कोई नहीं झेल्यो,
हनुमत हाथ उठायो जी।।
बीड़ो उठायो मुख में दबायो,
चरणां शीश निवायो जी।
कर किलकारी कूद गया सागर,
पिणघट आसन लगायो जी।।
पाणी री पणिहार्यां बोली,
कौण जिनावर आयो जी।
जिण देश री सीता कहिजे,
उण देश रो वानर आयो जी।।
इतरी बात सुणी हनुमत ने,
नवल बाग़ में आयो जी।
जिण वृक्ष निचे सीता बैठी,
ला मुंदड़ी छिटकायो जी।।
देख मुंदड़ी झुरवा ने लागी,
कौण जिनावर आयो जी।
तुलसीदास आस रघुवर की,
नैणां नीर भर आयो जी।।
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