गुरु ने मंगाई, चेला वही.....
दोहा:- गुरु सेवा जन बंदगी, अर सत्संग वैराग।
ये चारो जब ही मिले, पूरण हो ये भाग।।
स्थाई:- गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
पहली भिक्षा अन की लाना, गाँव नगर के पास न जाना।
नारी पुरुष को नहीं सताना, मेरी झोली भर के लाना।।
गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
दूजी भिक्षा जल की लाना, कुए तालाब के पास न जाना।
खारा मीठा चख कर लाना, मेरी तुम्बी भर के लाना।।
गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
तीजी भिक्षा लकड़ी लाना, वेळ वृक्ष को नहीं काटना।
गीली सूखी देख के लाना, मेरे भारी बाँध के लाना।।
गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
चौथी भिक्षा माँस की लाना, जीव जन्तु को नहीं मारना।
जिन्दा मुर्दा देख के लाना, मेरा खप्पर भर के लाना।।
गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
कहे मछेन्दर सुन जती गोरख, यह पद है निरवाणा।
इसका अर्थ करे वो ही नर, जग में चतुर सुजाना।।
गुरु ने मंगाई, चेला वही चीज लाना रे।।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
Fakiri Laga Nahi Shabdo Raa Teer फकीरी, लागा नहीं शब्दों रा तीर
Sant kheteshwar Ji Ki Aarti संत श्री खेतेश्वर जी की आरती
Lelo Ji Ramji Ro Naam ले लो जी ले लो, रामजी रो नाम
Ganpat Garwa Opra Re गणपत घरवा ओपरा
Gurosa Mhaane Olu Aap Ri Aawe गुरोसा म्हाने ओलु आप री आवे
CLOSE ADS
CLOSE ADS
0 टिप्पणियाँ