Mainade Tharo Laal Kathe Bhajan Lyrics मेणा दे थारो लाल कठे

मेणा दे थारो लाल कठे (धुन:- महाराणा प्रताप कठे )

स्थाई:- मेणा दे थारो लाल कठे, 
वो भगतां रो प्रतिपाल कठे,
वो लीले रो असवार कठे।।
धरती पर बढियो पाप घणो, 
वो रामदेव अवतार कठे। 
मेणा दे थारो लाल कठे, 
वो भगतां रो प्रतिपाल कठे।।

धरती रो पाप मिटावण ने, 
ज्यूं अजमल घर अवतार लियो। 
जो बेल धरम री सींच गयो, 
और भगता रो उद्धार कियो। 
जो नाथ द्वारका वालो है, 
जो चक्र सुदर्शन धारी है। 
कलजुग में रामापीर धणी, 
जो निकलंक नेजाधारी है। 
भगती रो पंथ बतावणियो, 
वो तुंवरां रो सिरताज कठे।।
मेणा दे थारो लाल कठे, 
वो भगतां रो प्रतिपाल कठे।।

ओ कलजुग घोर करूर घणो, 
सज्जन रो जीणो दोरो है। 
सज्जन रोटी ने तरसे है, 
और पापी घर में सोरो है। 
भाई- भाई रो बैरी है, 
अर बाड़ खेत ने खावे है। 
भाई बहना रो घर खावे, 
और लाज शरम ना आवे। 
कोई म्हाने तो बतला दो, 
इण कलजुग रो है पार कठे।।

नर नशा पता में डोले है, 
नारी घर बार चलावे है। 
ए छोटा-छोटा टाबरिया, 
मजदूरी करवा जावे है। 
माया रा रिश्ता नाता है, 
माया री दुनियाँ सारी है। 
ढोंगी ए भगवों वेश धरे, 
ऐ पैसा रा पुजारी है। 
डाली ने जो गुरु ज्ञान दियो, 
वो सच्चो निर्मल ज्ञान कठे।।

कलजुग में अत्याचार घणा, 
दुर्बल पे ए बलवान करे। 
दुष्टी ए बीच बजारां में, 
अबला री देखो लाज हरे। 
ए डरे नहीं भगवान सूं, 
ना कोई सोच विचार करे। 
ना कोई नाथ गरीब को, 
ओ किण सूं जाय पुकार करे। 
पापी री छाती बींध सके, 
भाला री तीखी धार कठे।।

दुनियाँ में भारत देश भलो, 
सोना री चिड़िया कहलातो। 
ऐ बाता ज्ञान धरम री वो, 
सारी दुनिया ने सिखलातो। 
अब दिन धरम इण भारत में, 
विरला रे घर में देखीजे। 
पग-पग पे पाप घणेरो है, 
अब धीर धरम ना धारीजे। 
लीले रा पोड़ बजावणियो, 
वो नेतल रो भरतार कठे।।

म्हें आज सुण्यो हूँ रूणीचे, 
वो परचा खूब दिखावे है। 
धोरां में हिन्दवा पीर धणी, 
भगतां री आस पुरावे है।
आंधा ने देवे आंखड़ल्याँ, 
बांझा ने बीटा देवे है। 
भगतां रो हेलो सुण बाबो, 
हाजर वो आयो रेवे है। 
भगतां री लाज बचावणियो, 
वो सुगणा बाई रो वीर कठे।।

धोरां में धाम धणी रो है, 
भादरवे मेलो लागे है। 
दुखियाँ री लागे भीड़ घणी, 
और भाग भगत रा जागे है। 
झालर री होवे झनकारां, 
कोई ढोल नगारा बाजे है। 
भगतां रा टोला मिन्दर में, 
बाबे रे आगे नाचे है। 
कळजुग में दूजो इण जेड़ो, 
साँचो है दरबार कठे।।

अरदास प्रकाश री सुण लीजो, 
भगतां पर किरपा कर दीजो। 
आ अरज मोइनुद्दीन करे, 
अवतार जगत में ले लीजो। 
ओ दास अशोक सुणावे है, 
चरणों में शीश नवावे है। 
अब के भादरवे धणियाँ सूं , 
दरशण री आस लगावे है। 
भगतां रो बेड़ो पार करे, 
वा बाबा री पतवार कठे।।
                            ✽✽✽✽✽     

                         

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