Fakiri Manh Mare So Hi Sur Bhajan Lyrics फकीरी मन मारे सो ही शूर

फकीरी मन मारे सो ही शूर..... 



स्थाई:- फकीरी मन मारे सो ही शूर। 
मन को मार इन्द्रियाँ जीते, सो ही संत बहादुर।।

दो दाल बीच युद्ध होवे भारी, पग रोप कोई शूर। 
कायर देख रण पग नहीं मांडे, भाग जाय कहीं दूर।।

धर्म राखे सो शूर जग में, अधर्म किया सब चूर। 
शीश काट लड़े कोई शूरा, पद पावेला भरपूर।।

कायर जग में धरम कमावे, शत्रु उड़ावे धूर। 
भारत भूमि लजिया मरे, जननी गमायो नूर।।

बड़ा फक्कड़ फकीरी साधे, साधना करे भरपूर। 
चुनिनाथ कहे डिगे ना डोले, सदा रहे अफ्रूर।।
                               ✽✽✽✽✽
 

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