कोई बतावो जोगी आवतो... (धुनः आज हमारे ओ तो रामजी)
दोहा : जोगी जंगम से बड़ा, संन्यासी दरवेश।
छठा दर्शण ब्रह्म का,
इण में मीन न मेष॥
स्थाई: कोई बतावो जोगी आवतो,
ज्यां ने लाख बधाई।
जोगी हमारा मीत है,
कुण देख्या मेरा भाई।
जोगी ने ढूंढत जुग भया, जी ॥
हाथ छड़ी हीरां जड़ी,
सिर पर टोप हजारी।
सहस किरण ज्यां री सेवा करे,
ऐसा जोगी तपधारी ॥
इण जोगी वाली झोलियाँ,
हीरा माणक भरिया ।
मांगे ज्यां ने जोगी देत है,
ऐसा दिल का दरिया ॥
इण जोगेश्वर री रावटी,
फूलां सेजां छाई।
पानां फूलां में जोगी रम रया,
मेरहम विरला पाई ॥
धरती रा तकिया किया,
तम्बू किया असमाना।
खाकी चोळा पहरिया,
सत लोक समाना ॥
बाहर भीतर एक है,
घट खोजो मेरा भाई ।
कहे कबीरा धर्मीदास ने,
जोगी है घट माँई ॥
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