साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई....
स्थाईः साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई।
ऐसी चाय मालिक ले राखो,
जन्म-मरण मिट जाई ॥
उठ कर सुबह होटल में जावे,
चाय बणा दे भाई ।
शक्कर कमती, पत्ती सलेरी,
रंग गहरो ले आई,
साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई ॥
सुलो-सुलो आवाज लगावे,
चाय बणीयक नाँहि ।
पलक एक अब रयो नी जावे,
तड़फ-तड़फ जीव जाई,
साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई ॥
ऐसी चाय फैली घर-घर में,
कोई टलने नहीं पाई।
पीये चाय प्रेम से बोले,
जल्दी सुस्ती उड़ जाई,
साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई ॥
ऐ तो चाय सभी के लागू,
आ छोड़ी नहीं जाई ।
बाबु करे चाय री शोभा,
पियो थे खूब सवाई ॥
साधु भाई ! ऐसी चाय चलाई ॥
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