पूरण प्रेम लगा दिल में तब.....
स्थाई: पूरण प्रेम लगा दिल में,
तब नेम का बंधन छूट गया ।।
कोई पण्डित लोग बतावत है,
समझावत है जग रीतन को ।
जब प्रीतम से दृढ प्रीत भई,
सब रीत का बंधन टूट गया ।।
कोई तीरथ दर्शन जावत है,
कोई मंदिर में नित दर्शन को ।
घट भीतर देव दीदार हुआ,
तब से मन ये रूठ गया ।।
कोई जीव कहे कोई ईश कहे,
कोई गावत ब्रह्म निरंजन को ।
जब अन्दर बाहर एक हुआ,
सब द्वैत का परदा फूट गया ।।
सोई एक अनेक स्वरूप बना,
परि पूरण है जल में थल में।
ब्रह्मानन्द करी गुरुदेव दया,
भवसागर का भय उठ गया ।।
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