गुरु जम्भेश्वर जी की आरती.....
स्थाई:- आरती कीजे गुरु जम्भ जती की।
भगत उद्धारण प्राणपति की।।
पहली आरती लोवट घर आये।
बिन बादळ प्रभु इमिया झुराये।।
दूसरी आरती पीपासर आये।
दूधे मेड़तिये ने परचो दिखाये।।
तीसरी आरती समराथल आये।
फूला रे पंवार ने परचो दिखाये।।
चौथी आरती अनवि निवाए।
पहुँच लोक प्रभु पवित्र केवाए।।
पाँचवी आरती उदो जन गावे।
सो ही गावे रे अमरा फल पावे।।
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