नाथ अमली रे म्हारो
स्थाई : नाथ अमली रे म्हारो बाबो अमली।
बागा माहिणे भांगड़ली घोटाय राखूंली।।
काँई बोवूं काशीजी में, काँई रे परयाग।
काँई बोवूं हर री पेड़ी, काँई रे कैलाश।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
काशीजी में केसर बोवूं, चन्दन परयाग।
हर री पेड़ी भांग बोवूं, धतूरो कैलाश।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
काँई मांगे नांदियो , ने काँई रे गणेश।
काँई मांगे भोला शंभु ,जोगिया रो वेश।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
दूबां मांगे नांदियो ने, मोदक गणेश।
भांग मांगे भोला शंभु ,जोगिया रो वेश।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
घोटे -घोटे नांदियो ने, छाने रे गणेश।
भर -भर प्याला गवरा देवे, पीवे है महेश।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
हरी घास तो चरे नांदियो, बोले अमृतवाणी।
महादेव री मर्जी वे तो , बरसे पालर पाणी।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
कोई चढ़ावे गंगा सागर, कोई काचो दूध।
कोई चाढ़े बिल्व पत्र, कोई तो भभूत।।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
गावे सीखे सुणे साम्भले, वैकुण्ठा रा वास।
साँचे मन शिवजी ने ध्यावे, पूरे मन री आस।
म्हारो नाथ अमली रे म्हारो शंकर अमली।।
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