स्थाई : हालो रे
संतो देवरे, गुरु
जम्मो जोवण हालां।
एक ऊँचो सिहांसन राम रो, शरणा में शीश नवाया।
एक ऊँचो सिहांसन राम रो, शरणा में शीश नवाया।
गुरु
ज्ञानी आया पांवणा ,केड़ी-केड़ी महिमा
करिये।
सत्गुरूसा
आया पांवणा , काँई-काँई
महिमा करिये।
गंगाजल
भरियो वाटको, पग तल
पाये लेणा।
केसर रा
करना छांटणा, हरख
बधावे लेणा रे।।
उसकी आम्बा की गेरी गेरी
छाया, उसमे रे
ढोलियो ढलाया।
गुरु हिंगलू पायां रो
ढोलियो, अमर
ओसिंगा लेणा।।
दातन दिराऊँ काची केल रा, झारी
गंगाजल लेणा।
भायां सोवण कुण्डी उजली, वां में
नावण करणा।।
अरे सोवन थाली ऊजली, वां में
भोजन करिये।
गुरु घेवर पुड़ियाँ लापसी, माथे
घिरत घलीजे।।
सोवन खेती पारखी, उण में पग
मत धारणा।
निर्बल खेती आपणी , हर भज
लावा लेणा।।
सोनो कहिजे सोलमो, ओ पीतल
भेल मत कीजे।
अणदोजी सोनी बोलिया, सायब
साँच पतीजे।।
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