Dharti Mata Ro Bhajan Lyrics धरती माता रो


।। धरती माता रो ।।

धरती माता रो वालो पेरू रे घागरो,
मे तो अमर चुनरी ओढू,
 में तो संतो रे भेली रहु,
में तो बाबो रे भेली रहु,
अरे आत्म पुरुष री छेली जी।।

अरे चंदा सूरज मारे अंगने लगाऊ,
में तो जरणो रो जाँजर पेरू,
में तो संतो रे भेली रहु,
में तो बाबो रे भेली रहु,
अरे आत्म पुरुष री छेली जी।।


नव जोड़ी नाल थारी जोड़ी रे सजाऊ,
अरे जद मारो माथो गुथाउ,
में तो संतो रे भेली रहु,
में तो बाबो रे भेली रहु,
अरे आत्म पुरुष री छेली जी।।

अरे पारस ने सरहद पर राखु,
गुंगर वाली गॉड में खेलु,
में तो संतो रे भेली रहु,
में तो बाबो रे भेली रहु,
अरे आत्म पुरुष री छेली जी।।
       ✽✽✽✽✽ 


यह भजन भी देखे 

Mataki Ko Makhan Kha Gayo Re मटकी को माखन खा गयो

Bharat Bhai Kapi Se Urin भरत भाई ! कपि से उऋण

Dhin Mata Dhin Dharti धिन माता धिन धरती

Fakiri Manh Mare So Hi Sur फकीरी मन मारे सो ही शूर

Guru Gyaani Aya Panwana गुरु ज्ञानी आया पांवणा

CLOSE ADS
CLOSE ADS

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ