धिन माता धिन धरती
दोहा:- धरती माता सुहागणी, इन्दर सो भरतार।
पेरण लीलो काँचवो, ओढ़ण मेघ मलार।।
स्थाई:- धिन माता धिन धरती, थने कदे नी देखी फिरती।
धिन माता धिन धरती।।
धरती रो धणियाप करन्ता, कई नर हो गया आगे।
कुम्भकरण और रावण जेड़ा, गया गडिंदा खाता।।
भीम सरीखा बलवंत जोधा, नित उठ लड़ता कुश्ती ओ।
हिमाला में हाड गालियों, तोई नी आई सोमवन्ती।।
नाव तो नावड़ियाँ चाले, नदियाँ चाले गुड़ती।
चाँद सूरज सरोदे चाले, नखतर चाले फिरता।।
देवनाथ गुरु पूरा मिलिया, सतगुरु मिलिया समरथी।
राजा मान कहे सुणो भाई साधो ! जागी जोत भभकती।।
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