Darudiya Ne Algo Balo Re Bhajan दारुढिया ने अलगो बालो रे


भजन।। दारुढिया ने अलगो बालो रे ।।

श्लोक:- राम राज में दूध मिलिया,
कृष्ण राज में घी,
अरे बीरा इन कलयुग में दारु मिलियो,
भाया सोच समझ ने पी।। 


अरे दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास,
अरे भुंडी आवे वास 
ने तन रो कीनो नास 
है दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास।।


सगाँ संबंधी आवे वे बैठा - बैठा भाले 
सगाँ संबंधी आवे वे बैठा - बैठा भाले
 बैठा - बैठा भाले वे सुथा - सुथा भाले 
बैठा - बैठा भाले वे सुथा - सुथा भाले,
दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास।।




अरे काम काज तो करे न कोई 
सिदो ठेका पे जावे ,
अरे काम काज तो करे न कोई 
सिदो ठेका पे जावे,
वेगो उठे ने खेता में जावे
वेगो उठे ने खेता में जावे,
राम बिगाड़ा बोले रे,
दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास,
अरे भुंडी आवे वास 
ने तन रो कीनो नास 
है दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास।।


अरे पाँव भरियो पीनो पचे मल मूत में पड़ियो  
पाँव भरियो पीनो पचे मल मूत में पड़ियो ,
अरे थोड़ो पीदो ने गणो रे चडीयो 
थोड़ो पीदो ने गणो रे चडीयो ,
कादा कीचड़ में पड़ियो रे 
दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास,
अरे भुंडी आवे वास 
ने तन रो कीनो नास 
है दारुढिया ने अलगो बालो रे,
भुंडी आवे वास।।
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