ढेलड़ी मारग में क्यूँ ब्याही
दोहा:- अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका यूं कहे, तो सबके दाता राम।।
स्थाई:- थारा बचिया बिलाड़ी ले जाई रे,
ढेलड़ी मारग में क्यूँ ब्याही।।
मारग में थे इण्डा रे मेलिया, आ काँई अकल गमाई।
रात दिन थारी करूँ रखवाली,
पलक देर नहीं लाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
जेठ जी गया अजमो लेवण ने, लावत देर लगाई।
चोखो देख ने अजमो लावे,
खात करे थूं खाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
चिड़ी कमेड़ी थारी काकी लागे,
कागलो भुआ रो बेटो भाई,
मोरियो ने कठे गमायो,
एकली क्यूँ आई ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
पाणी जल रो अमर पचको, अरट बगेची माँहि।
दादा गुरु री वाड़ी देखने,
भले भेटवा आई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
दादा वाड़ी रा दर्शण करणा,खांत घणी मन लाई।
छोगालाल कहे सुणो संतो,
सीखी जेड़ी गाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
✪✪✪✪✪
दास मलूका यूं कहे, तो सबके दाता राम।।
स्थाई:- थारा बचिया बिलाड़ी ले जाई रे,
ढेलड़ी मारग में क्यूँ ब्याही।।
मारग में थे इण्डा रे मेलिया, आ काँई अकल गमाई।
रात दिन थारी करूँ रखवाली,
पलक देर नहीं लाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
जेठ जी गया अजमो लेवण ने, लावत देर लगाई।
चोखो देख ने अजमो लावे,
खात करे थूं खाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
चिड़ी कमेड़ी थारी काकी लागे,
कागलो भुआ रो बेटो भाई,
मोरियो ने कठे गमायो,
एकली क्यूँ आई ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
पाणी जल रो अमर पचको, अरट बगेची माँहि।
दादा गुरु री वाड़ी देखने,
भले भेटवा आई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
दादा वाड़ी रा दर्शण करणा,खांत घणी मन लाई।
छोगालाल कहे सुणो संतो,
सीखी जेड़ी गाई रे ढ़ेलडी मारग में क्यूँ ब्याही।।
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