Bhakt Khada He Dwaar Aap Re Bhajan Lyrics भगत खड़ा है द्वार आप रे



भगत खड़ा है द्वार आप रे

स्थाई:-  भगत खड़ा है द्वार आप रे, किण रे भरोसे ए।
थारे भरोसे ओ गुरूजी, थारे भरोसे रे। 
थारे भरोसे ओपीपाजी, थारे भरोसे रे।

नगर नगर में पीपाजी रा, मोटा बणिया धाम। 
सगळा मिल दर्शन ने आवे, पूरण होवे काम। 
जय जयकारा करता आवे, किण रे भरोसे रे।

द्वारिकाधीश रे संग विराजे, शोभा अपरम्पार। 
नगर-नगर और डगर-डगर में, होवे जय जयकार। 
मनोकामना पूरण होवे, किण रे भरोसे रे।



सांवरिया रा दर्शन करवा, द्वारिका पहुँच्या जाय। 
बोले पुजारी हरि विराजे, रतना सागर माँय। 
कूद पड्या सागर में वे तो, किण रे भरोसे रे

अहिंसा उपदेश दिरायो, सिंह शरण में आय। 
हिंसा छोड़ दे पड्यो शरण में, दया मन रे माँय। 
वन में जाकर करी तपस्या, किण रे भरोसे रे

चेत पूनम ने मेलो लागे, आवे नर ने नार। 
पीपाजी री महिमा मोटी, पायो कोनी पार। 
भगत आय ने ध्यान लगावे, किण रे भरोसे रे

पीपाजी री महिमा कोई, प्रकाश माली सुणवाय। 
भवसागर सूं पार करावो, द्वार खड़ा है आय। 
बेड़ो म्हारो बीच भंवर में, किण रे भरोसे रे
                  ❂❂❂❂❂
       

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