इण काया रो हिण्डोळो रचियो....
स्थाईः इण रे काया रो हिण्डोळो रचियो,
डगमग झोला खाए रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
चेते ने चालो बीरा पार लग जावो,
भव सागर रे माँये रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
काया वाड़ी रो किल्लो रे होसी,
आँख फरूखी जाए रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
बालपणो बचपन में खोयो,
जोबन रळियो जावे रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
बूढ़ो होयो जद माळा रे पकड़ी,
जीव री काँहि गति होवे रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
इण मारगिये कई नर सोया,
तोरल साधु सुणावे रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
गुरु परताप बोले रूपां दे,
माल दे ने विनती सुणाई रे,
मनवा ! चेत चालो भाई रे ॥
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