बीरा म्हारा रामदेव रे
स्थाई:- बीरा म्हारा रामदेव रे, एकर लेवण आव।
अळगो घणो म्हारो सासरो रे, माता मिलण रो चाव।।
अळगी घणी परणाई ओ बीरा, लीवी ना सार संभाल।
आछो लगन लिखायो रे जोशी, क्यूं नहीं खायो कालो नाग।।
बेटी ने दोनूं झुरे रे बीरा, बूढ़ा मायर बाप।
जीव अमूझे म्हारो धोरियां में, पड़े रे काल पर काल।।
सासू जितरे सासरो रे बीरा, माता जीतरे पीहर।
जद रे भोजायां घर आवसी रे, बस कोनी चाले म्हारा बीर।।
एकर तो दिखाय दे रे बीरा, पीवरिये रा रुंख।
ना जाणे कद होवसी रे, गढ़ रे रूणीचे म्हारी ढूक।।
बीर हुकम रतने ने दीनो रे, बाई सुगणा ने ल्याव।
ओळु सुगणा बहन री जी, कथ गावे पन्नालाल।।
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