लावो ले लो रे भगती.....
स्थाई:- लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।
मिले न बारम्बार मानखो, मिले न बारम्बार।
लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।।
पेली सायब ने याद कर लो, दूजो पर उपकार।
तीजो देणो दान को रे, चौथो मन को मार।।
लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।
मिले न बारम्बार अवसर , मिले न बारम्बार।
लावो ले लो रे सतसंग रो, अवसर मिले न बारम्बार।।
काम क्रोध ने मार हटावो, दुर्मति दुरी राल।
आशा तृष्णा छोड़ के रे, सिद्ध भगती में लाग।।
लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।
मिले न बारम्बार अवसर , मिले न बारम्बार।
लावो ले लो रे सतसंग रो, अवसर मिले न बारम्बार।।
ओ संसार हाट वालो मेलो, बिछड़ जाई नर नार।
दो दिनां रे बीच में रे, जीती बाजी मत हार।।
लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।
मिले न बारम्बार अवसर , मिले न बारम्बार।
लावो ले लो रे सतसंग रो, अवसर मिले न बारम्बार।।
सायब कबीर गुरु पूरा मिलिया, शबद दियो टकसाल।
धरमीदास कहे झेल सको तो, हो जाई भवजल पार।।
लावो ले लो रे भगती रो, अवसर मिले न बारम्बार।
मिले न बारम्बार अवसर , मिले न बारम्बार।
लावो ले लो रे सतसंग रो, अवसर मिले न बारम्बार।।
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