सतगुरु री ओलु आवे रे
स्थाई : सत्गुरूसा री ओलु आवे रे,
म्हारो रोम रोम गरणावे रे।
रोम रोम गरणावे रे म्हारो,
हिवड़ो हिलोरा खावे रे।।
रात दिवस म्हाने नींद नी आवे,
अन पानी म्हने कछु नहीं भावे।
म्हारे नैना नीर भर आवे रे,
म्हारा गुरु बिन रयो नहीं जावे रे।।
पल पल छिन छिन याद सतावे,
एडा एडा बादल घटा चढ़आवे।
म्हारी सुरता शोर मचावे रे,
म्हारो बालक जीव घबरावे रे।।
चढ़ी खुमारी म्हारे प्रेम री,
गुरु बिन रयो नहीं जावे रे।
किस्मत री काई-काई गावे रे,
म्हारा गुरूसा फिर नहीं आवे रे।।
जहाज पड़ी दरियाव बीच में,
अध बिच गोता खावे रे।
सतगुरु खेवट बण आवे रे,
म्हारी नैया पार लगावे रे।।
गौड़ भागीरथ भजन बणावे,
कुशल रतन थारो गुण गावे।
ओ तो भजन मोइनुदीन गावे रे,
गुरु चरणा में शीश निवावे रे।।
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