शिव भोला, गजब का है......
दोहा : तीन लोक चवदा भवन में, पहुँच सके ना कोय।
ब्रह्मा विष्णु भी थक गया, शंकर गया
है सोय।।
स्थाई : शिव भोला, गजब का है गोला, बाघम्बार चोला,
आया है नन्द द्वार पे, माता दरश
करा दे तेरे लाल के।।
माता बोली,
नहीं में भोली, भर दू तेरी झोली,
चला जा मेरे द्वार से, नहीं दर्शन होंगे मेरे लाल के।।
देख के जोगी का रूप निराला, माताजी घबरा गई।
सोया हुआ है मेरा कृष्ण
कन्हैया, नींद गहरी आ गई।
नाग काला, गले रुण्डमाला, पहने है
मृगछाला।
जटधारी, त्रिशूल कर भारी, छवि
दरकारी।
चलेगा कोई चाल रे, नहीं दर्शन होंगे मेरे लाल के।।
बोला रे बोला जोगी सुनले री माता, मुरली बजैया मेरा यार है।
मै हूँ पुराना मेरा प्यार
हे पुराना, बरषो पुराना मेरा प्यार है।
अलख जगाई, धूणी रमाई,
थोड़ी भांग चढ़ाई।
नहीं जावूं, यही मर जावूं, कान्हा
के गुण गावूं।
तुम देखना कमाल रे, माता दरश दिखादे तेरे लाल के।।
कृष्ण कन्हैया के दर्शन पाकर, भोले बाबा हर्षा गये।
देख के जोगी का रूप निराला, कृष्ण कन्हैया मुस्का गये।
मित्र मंडल, जपे निरंतर,
नाम तेरा शिव शंकर,
पार लगाना, नैया भव पार लगाना बैजू को दर्शन दिखाना,
सुन भक्तो की अरदास रे, मैया दरश करा दे तेरे लाल के।।
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