कुण तो लाया तुम्बड़ा
स्थाई : कुण तो लाया तुम्बड़ा ने,कुण तो नागरवेल।
कुण तो लाया रे संतो री अमरवेल।।
शिवजी लाया तुम्बड़ा, पारवता नागरवेल।
गोरखजी लाया रे, संतो री अमरवेल।।
किण ने देवा तुम्बड़ा ने, किण ने नागरवेल।
किण ने दोला रे, संतो री अमरवेल।।
शिवजी ने देवा तुम्बड़ा ने, पारवता ने नागरवेल।
गोरखजी ने दोला रे, संतो री अमरवेल।।
कठे बवाड़ू तुम्बड़ा ने, कठे रे नागरवेल।
आ कठोड़े बवाड़ू, संतो री अमरवेल।।
बागे बवाड़ू तुम्बड़ा ने, बगीचा नागरवेल।
भजना में बवाड़ू, संतो री अमरवेल।।
किणती सींचू तुम्बड़ा, किणती नागरवेल।
किणती सींचू रे, संतो री अमरवेल।
घी सूं सींचू तुम्बड़ा, दूधा सूं नागरवेल।
शबदां ती सींचू रे, संतो री अमरवेल।।
सूखण लागा तुम्बड़ा, कलमीजे नागरवेल।
कूंपळ तो मेले रे, संतो री अमरवेळ।।
राजा भरतरी री अरज विनती, सुनो सभा चित लाय।
अमर होइजो रे, संतो री अमरवेळ।
✽✽✽✽✽
यह भजन भी देखे
0 टिप्पणियाँ