जय धरती माँ, जय-जय गौ माता.....
स्थाई:- जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।
मानव का है गौ से, जनम-जनम का नाता।
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
आदिकाल से गौ माता ही सबका पोषण करती है।
अमृत जैसा दूध पिलाकर कष्ट अनेक वो हरती है।
वैतरणी से पार लगाती, मुक्ति की है दाता,
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
संकट में गौ वंश आज है, प्रतिदिन कटने जाता है।
माँस विदेशों में गायों का, बिकने भेजा जाता है।
हत्यारों को गौ माता पर, रहम नहीं आता,
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
गौ माता को हमें बचाना, घर-घर अलख जगाएंगे।
गौ माता की सेवा करके, जीवन सफल बनाएंगे।
गौ माता की सेवा में ही, आनन्द है आता,
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
गौ रक्षा है धरम हमारा, मोहन ने बतलाया था।
गोवर्द्धन अंगुली पर धारा, गिरधारी कहलाया था।
देव ऋषि भी गाते रहते, गौ महिमा गाथा।
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
अपनी आय का कुछ हिस्सा तो अब गौ दान में देना है।
जागरूक हो जावो भाई, सबको मेरा कहना है।
आशीर्वाद हजारों देगी, हमको गौ माता,
जय धरती माँ, जय-जय गौ माता।।
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