लखोजी फूलाणी से प्राप्त ज्ञान.....
लाखोजी:- माया माणो मानवी, लख लाखे रा ठाठ।
जग में कितोक जीवणो, के दिन दस के आठ।।
धर्मपत्नी:- लाखो भूलो लख वेला, करे दिनां में वात।
सांझां महलां मुलकता, वां ने नी देख्या प्रभात।।
बेटा:- लाखो भूले लख वेळा, भूली म्हारी माँय।
क्या जाणे क्या होवसी, आँख फरुखे माँय।।
बेटी:- लाखो भूलो बन्धु भूलो, भूली म्हारी माँय।
श्वास बटाऊ है पांवणो, आवे के नहीं आय।।
पुत्रवधु:- दस द्वारन को पिंजरों, जिसमे भरी पवन।
रयो अचम्भो करत है, गया अचम्भो कौन।।
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