करता डंडोता आवे, भगत थारे.....
दोहा : धजाधारी आवे जातरू, भूप आवे पाँय।
सिमरया सिमरथ बापजी, करे संकट में स्याय॥
स्थाईः करता डंडोतां आवे, भगत थारे उळवाणा आवे।
जय
बाबारी,
जय
बाबारी
गाता-गाता
आवे॥
कोसां चाले पाळा-पाळा, माथे तपे तावड़ियो।
भूख-तिरसरी फिकर नहीं कोई,
लाज राख सी सांवरियो रूणीचे रा रामधणी थाने,
दुखड़ा आय सुणावे॥
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
सब कोई थाने ध्यावे है।
थारे शरणे सगळा सरीखा, सगळी दुनियाँ आवे है।
जात-पात रोभेद नहीं जो, शरण आवे सुख पावे॥
दिन रा काटे पेंडो जातरी, रातांजमो जगावे।
बूढ़ा टाबर और लुगायां, बाबेरागुण गावे है।
घिरत
चूरमो
बाबा
थारे,
मिन्दर
भोग
लगावे॥
त्रिलोकी रा नाथ कहीजो, अजमल घर अवतारी हो।
पीड़ हरी थे भगतां री जद, महिमा थारी गावे है।
उमड़े
दुनियाँ
सारी
जद-जद,
मासभादवो
आवे॥
जय बाबारी, जय बाबारी, चारूं खूट सुणावे है।
अशोक थारो
दास
कहीजे,
महिमा
थारी
गावे
है।
शरणे राखिजो दास
ने
दाता,
चरणां
में
सुख
पावे॥
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