एकणवार आईजो सतगुरु
दोहा : संत हमारे सिरधणी ,में संतन की देह।
रोम-रोम में रम रया ,प्रभु ज्यू बादल में मेह।।
स्थाई : एकणवार आईजो, सतगुरु वारम्वार आइजो।
धिनगुरूसा म्हारे देश में ओ जी।।
सतगुरु म्हारा फुलड़ा रे ,धिन गुरु म्हारा फुलड़ा।
कोई फुलड़ा मोयली वासना ओ जी।।
सतगुरु म्हारी गंगा रे , धिन गुरु म्हारी गंगा।
कोई गंगा मोयली गोमती ओ जी।।
सतगुरु म्हारी माला रे ,दाता म्हारी माला।
कोई माला मोयली मुंगिया ओ जी।।
सतगुरु म्हारा देवल रे ,धिन गुरु म्हारा देवल।
कोई देवल मोयला देवता ओ जी।।
सतगुरु म्हारा बादल रे ,धिन गुरु म्हारा बादल।
कोई बादल मोयली बिजली ओ जी।।
सतगुरु रो परताप ओ, म्हारे धिन गुरु रो परताप।
कोई जीवणजोशी बोलिया ओ जी।।
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