तू राजा की राज दुलारी
स्थाई:- तू राजा की राज दुलारी, मैं तो सिर्फ लंगोटे वाला हूँ।
मैं भांग रगड़ ने पिया करुँ, मैं कुण्डी घोटे वाला हूँ।।
तेरे सौ-सौ दासी पास रहे, मेरे एक भी दासी पास नहीं।
तू रथ पालकियाँ सैर करे, मैं पैदल चलकर सैर करुँ।
तू तो है साहूकार की बेटी, मैं तो सिर्फ लंगोटे वाला हूँ।
मैं भांग रगड़ ने पिया करुँ, मैं कुण्डी घोटे वाला हूँ।।
थने गृहस्थी वाळो सुख चहिये, मैं सदा फरारी रहा करुँ।
तू तरह-तरह का भोजन जीमे, मैं तो पैट पुजारी रहा करुँ।
अरे एक कमण्डल एक कटोरो, फूटे लोटे वाला हूँ।
मैं भांग रगड़ ने पिया करुँ, मैं कुण्डी घोटे वाला हूँ।।
दूरदर्शनी बाबाजी की, आँख देख ने दर जायली।
मेरे सौ-सौ नाग पड़े रहे गल में, नाग देखने डर जायली।।
राख घोलकर पिया करुँ मेरी, भांग देखने डर जायली।।
तू तो है साहूकार की बेटी, मैं बिल्कुल टोटे वाला हूँ।।
मैं भांग रगड़ ने पिया करुँ, मैं कुण्डी घोटे वाला हूँ।।
पार्वती से यूं कहे शंकर, मेरो ब्याव कराणो ठीक नहीं।
शीश गंगा लिलाड़ चन्द्रमा, मोड़ बंधाणो ठीक नहीं।
सुल्फा गांजा पीवणिया ने, भांग पिलाणी ठीक नहीं।
मोहन कहे तू बोझ मरेली, मैं जबर भरोसे वाला हूँ।।
मैं भांग रगड़ ने पिया करुँ, मैं कुण्डी घोटे वाला हूँ।।
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