Nirmohi Raja Ki Katha निर्मोही राजा की कथा

निर्मोही राजा की कथा.... 

एक दिन भूपति, खेलन गया शिकार। 
प्यास लगी भूप को, गया गुरु के पास।।

कहाँ आए हो कहाँ जात हो, दीसत हो अध भूप। 
कौन नगर में रहत हो, किण राजा रा पूत।।

राजा निर्मोही वो, अटल करत है राज। 
उनका कहिजूं बालका, ऋषि पूछो निश्चय आज।

कँवरा आवो यहाँ बैठो, हम नगर को जात। 
जो राजा निर्मोही है, वां री पल में खबरों लात।

तुम सुण चेरी श्याम की, बात सुणावूं तोय। 
कँवर विनाश्यो सिंह ने, आसन पड़ियो मोय।

नहीं कोई चेरी श्याम की, नहीं कोई मेरो श्याम। 
परालब्ध का मेला है, सुणो ऋषि अभय राम।।

तुम सुण सुत री सुन्दरी, अबला जौबन माँय। 
देवी वाहन आन भख्यो, तेरो श्री भगवान।।

तपस्या पूर्व जनम की, मैं क्या जाणूं वियोग। 
विधाता ने लिख दिया, वो ही लिखण के जोग।।

राणी तुझमे विपत अति, सुत खायो मृगराज। 
हमने भोजन नहीं किया, तेरे पुत्र मरण के काज।।

दरखत एक डाला घणा, पंछी बैठा आय। 
रजनी गई पीली भई, चहुँ दिश उड़-उड़ जाय।।

राजा मुख से राम कहो, पल-पल जात घड़ी। 
कँवर विनाश्यो सिंह ने, आसन लाश पड़ी।।

तपिया तप क्यूं छोड़ियो, अठे हरख नहीं हे शोक। 
घड़ी पलक को मेला है, सब मुसाफिर लोग।।

धिन राजा धिन बादशाह, धिन है सारो देश। 
धिन है थारा सतगुरु ने, साँचा दिया उपदेश।।
                            ✽✽✽✽✽ 

यह भजन भी देखे 

Shani Dev Katha शनि देव की कथा

मेरा शंकर त्रिपुरारी सारे जग से निराला है Mera Shankar Tripurari Shiv Hindi Bhajan Lyrics

Sant Ri Sangat Ganga Gaumati सत री संगत गंगा गोमती

Kalo ke Mahakal Kehwawo कालो के महाकाल केवावो

Rani Dawa Haath Me Bhajan Lyrics राणी डावा हाथ में दिवलो

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ